बुधवार, 22 जून 2016

भारत बन गया विश्व'योग'गुरु

 अतंरराष्ट्रीय  योग दिवस के अवसर पर दुनिया ने बाँहें फैलाकर भारत के ज्ञान का सुख लिया। विश्व के 192 देशों में द्वितीय अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। 21 जून को दुनियाभर में लोगों ने धरती पर माथा टेकते हुए और सूर्य को नमस्कार करते हुए भारत की तकरीबन पाँच हजार साल पुरानी योग परंपरा को अंगीकर किया। भारत की योग विद्या पहले से ही दुनिया को आकर्षित करती रही है। लेकिन, प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से द्वितीय अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अंतराल में योग अभूतपूर्व ढंग से लोकप्रिय हुआ है। यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से बीते दो वर्षों में भारत विश्व के लिए योग गुरु बन गया है। चंडीगढ़ में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि योग एक बहुत बड़े कारोबार के रूप में भी विकसित हो रहा है। दुनिया के हर देश में योग प्रशिक्षकों की जरूरत है। निश्चित ही विश्व की यह माँग भारत बेहतर तरीके से पूरी कर सकता है। भारतीय युवाओं के लिए योग ने करियर की नई राह खोल दी है। हालाँकि भारतीय दर्शन योग को कारोबार नहीं मानता, बल्कि योग तो जीवनशैली का एक हिस्सा है। लेकिन, वर्तमान समय में यदि योग किसी के रोजगार में सहायक हो सकता है, तब यह आनंद का विषय होना चाहिए।
        एक आकलन के मुताबिक, महज एक साल के भीतर योग का सेवा-उद्योग 50 फीसदी तक बढ़ा है। योग करने वाले लोगों की संख्या में 35 फीसदी का इजाफा हुआ है। योग प्रशिक्षकों की माँग भी 35 से 40 फीसदी तक बढ़ गयी है। इस बढ़त को देखते हुए ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के केन्द्रिय विश्वविद्यालयों में योग की शिक्षा देने का निर्णय लिया है। अनियमित दिनचर्या और खानपान से जुड़ीं रक्तचाप, मधुमेय और मानसिक तनाव जैसी बीमारियां तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कहा कि देश में मधुमेय के रोगियों की संख्या में काफी तेजी से इजाफा हो रहा है। ऐलोपैथी में इस तरह की बीमारियों का कोई कारगर इलाज नहीं है। वहीं, योग अभ्यास से इन बीमारियों से पार पाया जा सकता है। बीमारी के उपचार के लिए योग करना पड़े उससे कहीं अधिक अच्छा है कि पहले से ही शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए योग को दैनिक जीवन का हिस्सा बना लिया जाए। जैसे-जैसे दुनियाभर के लोग योग के करीब आ रहे हैं, उन्हें योग के फायदे नजर आ रहे हैं और वे योग को अपनी दिनचर्या का अनिवार्य हिस्सा बना रहे हैं। यही कारण है कि भारतीय प्राचीन योग दुनिया में स्वीकार्यता पा रहा है। 
         बहरहाल, विडम्बना देखिए कि एक तरफ न्यूयोर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय योगमुद्राओं से रोशन है, चीन की राजधानी बीजिंग में करीब 1300 फीट की ऊंचाई पर योग अभ्यास हो रहा है और फ्रांस में एफिल टावर के नीच हजारों लोग सूर्य नमस्कार कर रहे हैं तब भारत के कुछ कूप मंडूक राजनेता अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का बहिष्कार कर संगीत सुन रहे हैं। योग के नाम पर कुछ नेताओं और प्रगतिशीलों का शरीर अकड़ गया है। ये वह लोग हैं, जो रहते तो भारत में हैं, खाते भी भारत का हैं, लेकिन इन्हें भारत की ज्ञान-विज्ञान परंपरा पर गर्व नहीं है। जब भारत विश्व'योग'गुरु की भूमिका में नजर आ रहा है तब इन्हें अजीब-सी चिढ़ हो रही है। यह लोग अपने बनाए विचारों के अंधे कुएं से बाहर देखने का प्रयत्न ही नहीं करते हैं। अगर यह लोग आँखों पर चढ़े 'भारत विरोध' के चश्मे को उतारकर देखेंगे तब शायद नजर आए कि भारत के ज्ञान को पुन: विश्व स्वीकार कर रहा है। 

1 टिप्पणी:

  1. मुझे तो बहुत अच्‍छा लगता है यह सब जानकर। वाकई गर यह लोग आँखों पर चढ़े 'भारत विरोध' के चश्मे को उतारकर देखेंगे तब शायद नजर आए कि भारत के ज्ञान को पुन: विश्व स्वीकार कर रहा है।

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