मंगलवार, 31 जुलाई 2012

हिन्दुओं का बलात्कार, हत्या और धर्मांतरण उनके लिए नेकी का काम

हि न्दुओं का बलात धर्मांतरण पाकिस्तान में नेकी का काम है, इस्लाम की सेवा है। हिन्दुओं को इस्लाम में धर्मांतरित करने के लिए हर वो काम जायज है जिसे हम घोर अपराध मानते हैं। नाबालिग हिन्दू लड़कियों का अपहरण, उनसे सामूहिक बलात्कार, विरोध करने वाले हिन्दू स्त्री-पुरुषों की हत्या और टेरर टैक्स, इन सबसे पाकिस्तान में हिन्दू रोज ही दो-चार होते हैं। इस्लाम के नाम पर गुंडई करने वालों को सरकार की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष स्वीकृति है। नतीजा पाकिस्तान में हिन्दुओं की जनसंख्या लगातार घट रही है। विभाजन के समय पाकिस्तान में अच्छी-खासी हिन्दू आबादी थी। आज वहां हिन्दू गिनती के रह गए। बढऩे की जगह कम क्यों हुए? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं। कई हिन्दू अपनी बेटी, पत्नी, बहू और मां की आबरू बचाने और अपना धर्म बचाने के लिए पाकिस्तान से निकल आए। बहुतों का इस्लाम के नाम पर सबकुछ लूट लिया गया। उनकी मां-बहनों की आबरू, जमीन-जायदात सबकुछ। अब वे वहां मृतप्राय रह गए हैं। शेष जो विरोध में हैं रोज मुश्किल में जी रहे हैं। सरकार सुनती नहीं। हिन्दुओं के पक्ष में आवाज उठा रहे उदारवादियों की कोई बकत नहीं। अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को हिन्दुओं पर अत्याचार दिखता नहीं। इतना ही नहीं भारत की भ्रष्ट सरकार के हुक्मरानों को उनकी फिक्र ही नहीं, क्योंकि वे वोट बैंक नहीं है। भारत सरकार तो पाकिस्तान से जान बचाकर आए हिन्दुओं को भी यहां से भगाने पर तुली नजर आती है। बड़ी विरोधाभासी स्थिति है, एक ओर तो बांग्लादेश से आ रहे लाखों घुसपैठियों के स्वागत में केन्द्र और केन्द्र समर्थित राज्य सरकारें पलक-पांवड़े बिछाकर बैठी हैं वहीं पाकिस्तान से आए गिनती के हिन्दुओं को भारत में जरा-सा ठिया देने में इन्हें कष्ट होता है। बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों के राशनकार्ड और वोटरकार्ड बनवाए जा रहे हैं वहीं हिन्दू शरणार्थियों को लीगल नोटिस थमाए जाते हैं। भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब करने में पाकिस्तान कभी नहीं चूकता। बिलावजह या झूठे प्रकरणों में गाहे-बगाहे वह अंतरराष्ट्रीय मंचों से भारत के खिलाफ हमला बोलता रहता है। जबकि भारत वाजिब कारणों पर भी खामोश रहता है। हिन्दुओं की समस्या को लेकर न तो उसने कभी पाकिस्तान सरकार से शिकायत की और न ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस मसले को उठाया।
    हाल ही में पाकिस्तान के 'आरी डिजिटल चैनल' पर लाइव धर्मांतरण दिखाया गया। इसमें एक हिन्दू लड़के सुनील से मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अकमल ने इस्लाम कबूल करवाया। इससे पहले भी पत्रकारिता को कलंकित करने वाली टीवी एंकर माया खान ने सुनील और वहां उपस्थित अन्य लोगों को बधाई देते हुए कहा कि अब सुनील मोहम्मद अब्दुल्ला के नाम से जाना जाएगा। लाइव धर्म परिवर्तन दिखाने की यह घटना पत्रकारिता को मैला करने की पराकाष्ठा है। चैनल, टीवी एंकर और इस शो की पत्रकारिता जगत में जमकर निंदा की गई। पाकिस्तानी मीडिया ने ही उक्त चैनल, एंकर और सरकार की जमकर खबर ली। पाकिस्तान के अखबार 'डॉन' के संपादकीय में लिखा गया कि सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि चैनल ने एक बार भी नहीं सोचा कि इससे अल्पसंख्यकों (हिन्दुओं) पर क्या प्रभाव पड़ेगा? जिस उत्साह से धर्म परिवर्तन का स्वागत किया गया, बधाइयां दी गईं, उससे साफ होता है कि पाकिस्तान में इस्लाम को जो स्थान प्राप्त है वह अन्य किसी धर्म को नहीं। एक ऐसे देश में जहां अल्पसंख्यकों को पहले से ही दूसरे दर्जे का नागरिक माना जाता है, इस घटना ने उन्हें और किनारे पर धकेलने का काम किया है। वैसे यह तो सभी जानते हैं कि पाकिस्तान में हिन्दू दोयम दर्जे का ही नहीं चौथे-पांचवे दर्जे का नागरिक समझा जाता है। संभवत: उसे वहां का नागरिक समझा ही नहीं जाता हो।
    इस पूरे प्रकरण में एक बात तबीयत से समझने की है। धर्म परिवर्तन के लाइव शो में मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अकमल सुनील से सवाल करता है कि वह इस्लाम क्यों कबूल कर रहा है? इस पर सुनील ऊलझ-ऊलझ कर कहता है कि उसने मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी के गैर सरकारी संगठन में काम करने के दौरान इस्लाम कबूल करने का फैसला किया था। सुनील ने कहा - 'दो वर्ष पहले मैंने रमजान में रोजा रखा था। इस्लाम कबूल करने के लिए मुझ पर कोई दबाव नहीं है। मैं अपनी इच्छा से इस्लाम कबूल कर रहा हूं।' सुनील को बकरा बनाकर यह संदेश जानबूझकर दिलवाया गया ताकि जब भी यह बात उठे कि पाकिस्तान में हिन्दुओं का जबरन धर्मांतरण किया जा रहा है तो कहा जा सके यह झूठा आरोप है। हिन्दू अपने धर्म से उकता गए हैं, उन्हें अब जाकर इल्म हुआ है कि इस्लाम ही सबसे बढिय़ा धर्म है। पाकिस्तान के हिन्दू अपनी मर्जी से, पूरे होशोहवास में इस्लाम कबूल रहे हैं। उन पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं है। वैसे इस बात से भी तो इनकार नहीं किया जा सकता कि सुनील को डांट-डपट कर मुसलमान बनाया गया हो। वह कैमरे के सामने भले ही कह रहा था कि वह अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल कर रहा है लेकिन क्या पता कैमरे के पीछे उसके माथे पर बंदूक की नली रखी हो या फिर उसका परिवार तलवार की धार पर बैठा हो। अपनी जान की परवाह आदमी फिर भी नहीं करता लेकिन परिवार के लोगों की आबरू और जिन्दगी पर आन पड़े तब क्या किया जाए? ऐसी स्थिति में वह मजबूर होता है, अपनी अंतरआत्मा के विरुद्ध जाने के लिए। खैर, पाकिस्तान में क्या, कुछ नहीं हो सकता हिन्दुओं के साथ, यह किसी से छिपा नहीं है। शो के प्रसारित होने के बाद पाकिस्तान के हिन्दू धर्मांतरण की घटनाओं में तेजी आने की आशंका जाहिर कर रहे हैं। लाहौर स्थित 'हिन्दू सुधार सभा' के अमरनाथ रंधावा ने चिंता व्यक्त की है कि इस घटना ने हिन्दू समाज में मायूसी फैला दी है। लोग डर रहे हैं कि इस्लामिक गुंडों के हौसले अब और बुलंद हो जाएंगे। मीडिया ने घटिया शो दिखाकर बेहद खराब उदाहरण पेश किया है। इस शो से पाकिस्तान के अल्पसंख्यक (हिन्दू) समुदाय पर दबाव बढ़ा है। रंधावा की चिंता जायज है। पाकिस्तान में हिन्दू पहले से ही दबे-कुचले हैं। किसी भी देश में उपेक्षित समुदाय को दो संस्थाओं से हमेशा न्याय और आसरे की उम्मीद रहती है -न्यायपालिका और मीडिया। जब मीडिया का ही चरित्र ठीक नहीं हो तो पीडि़तों की आवाज कौन बुलंद करेगा। जैसा कि इस लेख की शुरुआत में कहा गया कि हिन्दुओं का बलात धर्मांतरण, हत्या और अपहरण वहां के कट्टरपंथी धड़े के लिए नेकी का काम है। पाकिस्तान की मीडिया का इस तरह का चरित्र देखकर तो डर लगने लगा है कि कहीं मीडिया भी इस 'नेक' काम में शरीक न होने लगा।

14 टिप्‍पणियां:

  1. ये सब उनकी नजर में 'नेक' काम ही है| हम ही ऑंखें मूंदे रखना चाहते हैं, सुविधाजनक है और साथ में उदारमना, धर्मनिरपेक्ष, अच्छे पडौसी, मानवतावादी होने का ठेका भी तो हमने ही ले रखा है|

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    1. संजय जी दुःख की बात यह है कि हमारे नेता 'ठेकेदार' ही हैं.

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    2. aap bangladeshi muslmano ke liye gussa dikha rahe hai lekin pakistani hinduon ka sath de rahe hain ye bhi to dohrapan hai

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  2. musalman apna kam kar rahe hai yah sab kuran me jayaj hai unka koi dos nahi ,hindu apni karni se samapt hoga kyo ki ye sekular netao ki bat manta hai hindu atm hatya ke liye taitar hai koi kya kar sakta hai ,jo jati ladti nahi wah samapt ho jati hai ise apni raksha ke liye ladna hoga yahi ek rasta hai.

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    1. दीर्घतमा जी अफ़सोस की बात है हिन्दू हमेशा अपने ही कर्मों से पिता है .. लेकिन कभी उसने सबक नहीं लिया.

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  3. पाकिस्तान में ऐसा होना तो संभाव्य है । अपने धर्म के लिये वे क्या कुछ नही कर सकते हैं । दुख तो इस बात का है कि हमारा जातीय गौरव मिट ही गया है । अपने ही देश में हिन्दू उपेक्षित है । उसे साम्प्रदायिकता का पर्याय माना जाता है । धर्म-निरपेक्षता का अर्थ केवल इस्लाम का समर्थक होना माना जाता है । जो धर्म निरपेक्ष है वही देशभक्त है । जो किसी भी सूरत में सही नही है । मुसलमानों को बराबर सम्मान व अधिकार मिले यहाँ तक तो ठीक है पर उन्हें सन्तुष्ट करने के लिये हिन्दुओं को उपेक्षित करके हमारे नेता कौनसा देश का हित कर रहे हैं । पाकिस्तान में जो हो रहा है उसके लिये हमारे कायर व स्वार्थी नेता काफी हद तक जिम्मेदार हैं । क्योंकि वे तुष्टीकरण की नीति पर चलते हुए सिर्फ अपनी सुरक्षा कर रहे हैं ।

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  4. साम्प्रदायिकता का तमगा सच्ची बात कहने से रोकने की चाल है.. हिन्दुओं के हित की बात करना जैसे इस देश में गुनाह हो गया. लेकिन मैं नहीं डरता मैंने तय किया है जो गलत होगा उस पर अपना विरोध जरूर दर्ज करूँगा, जिसे जो कहना है कह ले.. सांप्रदायिक कह ले या कट्टरवादी या फिर पिछड़ी मानसिकता का.

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  5. सरकार के उपर जब तक हम और आप भारत देश की जनता जब तक यह आन्दोलन की सुरुआत नहीं करने की इच्छा अपने मन से बाहर नहीं निकालेंगे तब तक ये बांग्लादेसी भारत छोड़ो का आन्दोलन सुरु नहीं हो सकता बांग्लादेसी भारत छोड़ो .....क्या आप दुश्मनी पाले दुसमन को अपने घर मैं पनाह दे सकते है ........
    .......बांग्लादेसी भारत छोड़ो.....

    जय बाबा बनारस।.......

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    1. अब हम हिन्दुओं की बातें हिंदुस्तान में भी कोई नहीं सुनता' काहेका हिंदुस्तान??? जबतक मुलायम और लालू जैसे अनेकौं नेता मुस्लिम बोट की खातीर अपना इमान बेच्नेसे बाज़ नहीं आएंगे तब तक हम हिन्दुओं की दुर्दशा होती रहेगी!!

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  6. हिन्दुओ की बुरी स्तिथि के लिए हमारे देश में हम हिन्दू खुद जिम्मेदार है. हम एक नहीं है. जब हम खुद हमारे देश में एक नहीं है तो विदेशो में हिन्दू की स्तिथि क्यों ठीक होगी. हम हिन्दुओ की पहचान जातियो में होती है किन्तु राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दुओ की पहचान एक नहीं है. हाँ राजनैतिक स्तर पर हिन्दू एक दीखते है किन्तु हिन्दू एक नहीं है. कम से कम महत्वपूर्ण धार्मिक स्तरों पर तो हम हिन्दू एक दिखे जैसे साडी पहनी महिलाओ को देख कर लोग कह देते है की वोह साडी पहने महिला जरूर हिन्दू होगी. क्यों हन्दू की एक पारंपरिक पहचान नहीं होती है. कम से कम त्यौहार के दिन तो जैसे की जुमे के दिन सारे मुस्लिम भाई kurta पजामा पहनते है, कम से कम सर पर टोपी तो रखते है. हम हिन्दू महत्वपूर्ण त्योहारों पर धोती पहन कर राष्ट्रीय स्तर पर हिंदुत्व एकता को प्रदर्शित करे. http://unity-hindu-dhoti.blogspot.in/

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  7. पाकिस्तान की तो बुनियाद ही नफ़रत है। दिल में दीवार न होती तो बँटवारे का सवाल ही नहीं उठता। अन्धेर नगरी चौपट राजा - छः दशक के कुशासन, हिंसा और आतंकवाद से सताई हुई जनता को बरगलाने के लिये उनके जैसे ही शासक बैठे हैं। वहाँ जो हो रहा है उस पर तो हमारा खास बस नहीं है लेकिन जो लोग धार्मिक दमन के उस नर्क से बचकर निकलना चाहते हैं, उनके प्रति अपने देश में एक निश्चित और स्पष्ट शरणागत नीति की ज़रूरत है।

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  8. पाकिस्तान अपनी हर हरकत में अपने घृणित चरित्र को दर्शाता है !

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  9. पाकिस्तान अपनी हर हरकत में अपने घृणित चरित्र को दर्शाता है !

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